पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की संपत्ति की जांच की अनुमति देने कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
रायपुर। छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की संपत्ति की जांच की मांग कांग्रेस लगातार कर रही है। वहीं आज कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल राजभवन जाकर डॉ. रमन सिंह की संपत्ति की जांच की अनुमति देने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि डॉ. रमन सिंह की संपत्ति की जांच ईओडब्ल्यू और आर्थिक अन्वेषण विभाग के द्वारा शुरू की जा चुकी है और उसके बाद प्रथम दृष्टया आवेदन मिला था उसके आधार पर जांच शुरू की गई है। और आगे की कार्रवाई के लिए राज्यपाल की अनुमति आवश्यक होती है, वह राजपाल के पास लंबित है।
इसी संबंध में रायपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गिरीश दुबे के नेतृत्व में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा उसने मांग किया है कि जांच की तत्काल अनुमति दें ताकि उनके ऊपर में जो भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उसकी जांच हो जाए और आरोप है कि अनुपातहीन संपत्ति डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए बनाया है। उसके बारे में छत्तीसगढ़ की जनता के बीच में खुलासा हो।
ज्ञापन में कहा गया कि वर्ष 1998 में कवर्धा से विधानसभा चुनाव में हारने के बाद डॉ. रमन सिंह कर्ज मे डूबे हुये थे। वर्ष 2003 में मुख्यमंत्री बनने तक भी वे एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार के सदस्य ही थे। वर्ष 2008 में प्रथम बार विधानसभा चुनाव के दौरान डॉ. रमन सिंह द्वारा प्रस्तुत जानकारी के अनुसार उनके पास मात्र 1 करोड़ की कुल संपत्ति थी। जो वर्ष 2013 में बढ़कर 5 करोड़ तथा 2018 में 10.72 करोड़ रू हो गयी। इसी तरह रमन सिंह के पुत्र अभिषाक सिंह यानि अभिषेक सिंह द्वारा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान जानकारी दी गई कि उनकी कुल संपत्ति 4.41 करोड़ की है। पूरे राज्य कि जनता जानती है कि पिता पुत्र द्वारा कोई ज्ञात व्यवसाय नही किया जाता है। उसके बाद भी उनकी संपत्ति में कई गुना बढ़त होना भ्रष्टाचार का प्रामाणिक उदाहरण है।
अभिषेक सिंह द्वारा कभी यह जानकारी नही दी गई कि उनके नाम पर गढ़ मुक्तेश्वर (उत्तराखण्ड) में करोड़ो का रिसार्ट था। जिसे उन्होने लोगों की आंख में धूल झोकने के लिये 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले अपनी पारिवारिक सदस्य के नाम पर ट्रांसफर कर दिया था। यह संपत्ति भी संभवतः डॉ. रमन सिंह द्वारा ही क्रय की गयी थी, क्योंकि अभिषेक सिंह की आय का कोई ज्ञात जरिया नहीं था। अभिषाक सिंह यानि अभिषेक सिंह 3 कंपनीयों के डायरेक्टर है, लेकिन प्रत्यक्षतः इन कंपनीयों द्वारा कोई कारोबार नहीं किया गया है। बल्कि ये कंपनिया केवल अवैध राशि को वैध करने का जरीया मात्र थी।
उक्त तथ्यों के साथ प्राप्त शिकायत की जांच में एसीबी द्वारा यह प्रारंभिक निष्कर्ष दिया गया है कि डॉ. रमन सिंह एवं उनके परिवार के विरूद्ध अनुपातहीन सम्पत्ति धारित करने के आरोप सत्य प्रतीत होते है। प्रकरण की विस्तृत जांच हेतु विधि के प्रावधानों के अनुरूप अनुमति हेतु महामहीम राज्यपाल को प्रस्ताव प्रेषित किया गया है। राज्यपाल महोदया से अनुरोध है कि राज्य की गरीब जनता के हितों को देखते हुये जांच हेतु अनुमति तत्काल प्रदान करने की कृपा करें।
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