Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन मजे से लोग उड़ाते हैं पतंग, भगवान राम से शुरू हुई परंपरा, जानें दिलचस्प कहानी
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति भारत के लगभग सभी हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को यह पर्व मनाया जाएगा. इस पावन दिन पर सूर्य की पूजा और गंगा स्नान का खास महत्व है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने के पीछे कौन सी खास मान्यता और कहानी छिपी हुई है? आइए, जानें मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की धार्मिक और वैज्ञानिक वजहें
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान राम से जुड़ी हुई है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने मकर संक्रांति के दिन आकाश में पहली बार पतंग उड़ाई थी और वो पतंग इंद्रलोक तक पहुंची थी. इसके बाद से यह परंपरा भारत के विभिन्न हिस्सों में लोकप्रिय हो गई. मकर संक्रांति का पर्व नई फसल के आगमन का भी प्रतीक है और पतंग उड़ाने को इसकी खुशी मनाने का तरीका माना जाता है.
वैज्ञानिक महत्व
धार्मिक महत्व के अलावा, मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का वैज्ञानिक आधार भी है. सर्दियों में सूर्य की रोशनी कम होती है, लेकिन मकर संक्रांति के बाद सूर्य की किरणें अधिक प्रभावी होती हैं. इस दिन पतंग उड़ाने से सूर्य से एनर्जी मिलती है जो शरीर को ताजगी देती है. इसके साथ ही, पतंग उड़ाने से हाथों और दिमाग का अच्छे से इस्तेमाल होता है, जो एक प्रकार से शारीरिक व्यायाम का काम करता है.
मकर संक्रांति और पतंगबाजी
मकर संक्रांति के अलावा, स्वतंत्रता दिवस पर भी देशभर में पतंगबाजी का खास महत्व है. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने को आजादी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह उत्सव खुशी और स्वतंत्रता का संदेश देता है. खासकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में इस दिन पतंगबाजी के उत्सव आयोजित होते हैं.
क्यों खास है मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाना?
मकर संक्रांति का दिन सिर्फ धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह खुशी और उत्साह का भी प्रतीक है. इस दिन पतंग उड़ाने से जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता आती है और यह पर्व एकता और उल्लास का संदेश देता है.